प्रा        चीन काल से स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए योग को एक बेहतरीन विकल्प के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। यही वजह कि योग की इस अद्भुत क्षमता का दम आज विज्ञान भी मानता है। योग से संबंधित न जाने कितने ही शोध किए गए हैं, जिनमें इस बात को प्रमाणित किया गया कि योग के विभिन्न आसनों के अभ्यास से कई गंभीर रोगों से निजात पाने में मदद मिल सकती है। योग में शामिल इन्हीं प्रक्रियाओं में से एक है, भस्त्रिका प्राणायाम।

Google Today के इस लेख में हम आपको भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे और इसे करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही आपको इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि भस्त्रिका प्राणायाम योग का फायदा तभी होगा, जब इसके साथ संतुलित खान-पान व दिनचर्या का पालन किया जाए। चलिए विस्तार में बात करते है.

भस्त्रिका प्राणायाम क्या है – What is Bhastrika Pranayama 

  • भस्त्रिका प्राणायाम योग संस्कृत के दो शब्दों के मेल से बना है।
  • पहला शब्द है भस्त्रिका, जिसका अर्थ होता है धौंकनी।
  • बता दें धौंकनी उस उपकरण को कहते हैं, जिसका उपयोग एक लोहार कोयले की आंच को तेज करने के लिए करता है।
  • वहीं प्राणायाम का अर्थ होता है, प्राण वायु को विस्तार देने वाला।
  • अपने नाम के ही मुताबिक योग की इस प्रक्रिया में प्राण वायु यानी कि श्वास को विस्तार देने के लिए किसी धौंकनी की भांति तेजी से सांस को बाहर छोड़ा जाता है।
  • साथ ही उतनी ही तेजी और गति के साथ सांस को अंदर की ओर भी लिया जाता है।
  • योग की यह प्रक्रिया शरीर की अशुद्धियों को बाहर निकालने और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।
  • स्वस्थ श्वसन तंत्र को जीवन का आधार माना गया है.
  • इसलिए भस्त्रिका प्राणायाम योग प्रक्रिया कई स्वास्थ्य संबंधी विकारों से राहत दिलाने में भी सहायक साबित हो सकती है।
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भस्त्रिका को करने के फायदे – Benefits of Bhastrika Pranayama

कण्ट्रोल ब्लड प्रेशर

  • एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित नेपाल मेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि अगर धीमी श्वास गति के साथ भस्त्रिका प्राणायाम योग प्रक्रिया का अभ्यास किया जाता है
  • तो इसका सीधा असर व्यक्ति के ब्लड प्रेशर पर दिखाई देता है।
  • साथ ही शोध में इस बात की पुष्टि भी की गई कि इस योगाभ्यास से तंत्रिका तंत्र में सुधार के साथ बढ़े हुए रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

इम्प्रूव हार्ट रेट

  • जैसा कि लेख में पहले ही बता चुके हैं कि भस्त्रिका प्राणायाम योग तंत्रिका तंत्र में सुधार कर बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • वहीं दूसरी ओर इस संबंध में किए गए शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि यह बढ़ी हुई हृदय की गति को सुधारने में भी सहायक साबित हो सकता है।
  • ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बढ़ी हुई हृदय गति को नियंत्रित करने में भी भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ हासिल किए जा सकते हैं।

वेट लॉस होता है

  • मोटापे की समस्या से परेशान लोगों के लिए भी भस्त्रिका प्राणायाम योग लाभदायक साबित हो सकता है।
  • विशेषज्ञों के मुताबिक इसका नियमित अभ्यास श्वसन तंत्र को मजबूती देने और तनाव को दूर करने के साथ ही वजन को कम करने में भी मददगार साबित हो सकता है।
  • हालांकि, यह किस प्रकार वजन को कम कर सकता है, इसपर सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

स्ट्रेस कम करे

  • तनाव की स्थिति में भी भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ कारगर साबित हो सकते हैं।
  • दरअसल, भस्त्रिका प्राणायाम योग के स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हैं।
  • उन्हीं फायदों में तनाव से मुक्ति भी शामिल है।
  • बताया जाता है कि अगर कोई व्यक्ति योग की इस प्रक्रिया को नियमित अभ्यास में लाता है
  • तो उसे अन्य समस्याओं के साथ ही तनाव से राहत पाने में भी मदद मिल सकती है।

रेस्पिरेटरी प्रोब्लेम्स सही करता है

  • जैसा कि हमने लेख में पहले बताया कि भस्त्रिका प्राणायाम योग के अभ्यास के दौरान मुख्य रूप से सांस लेने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया जात है।
  • इसलिए, यह श्वसन में मुख्य भूमिका निभाने वाले अंग फेफड़ों को मजबूती प्रदान करने का भी काम करता है।
  • यही कारण है कि विशेषज्ञ इसे अस्थमा जैसी श्वसन समस्या में भी लाभकारी मानते हैं।
  • ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि श्वसन संबंधी कई समस्याओं में भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

भस्त्रिका को कैसे करे – How to do bastika Pranayama 

  • सबसे पहले आप योग मैट बिछाकर पद्मासन में बैठ जाएं।
  • अब इस बात को ध्यान रखें कि इस प्राणायाम को करते समय आपका गला, रीढ़ की हड्डी और सिर बिलकुल सीधा रहे।
  • अब यह सुनिनिश्चित करते हुए कि इस अभ्यास को करते समय आपका मुंह बिलकुल भी न खुले, दोनों नाक के छिद्रों से गहरी सांस लें।
  • सांस अंदर लेने की प्रक्रिया में आपके फेफड़े पूरी तरह से फूलने चाहिएं।
  • इसके बाद अब आपको एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों के माध्यम से भरी हुई सांस को छोड़ना होगा।
  • सांस छोड़ने की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाने चाहिए।
  • सांस लेने से लेकर छोड़ने तक भस्त्रिका प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है।
  • शुरुआत में इस प्रक्रिया को धीमे-धीमे करें और इस प्रक्रिया के करीब 10 से 12 चक्र पूरे करें।
  • अभ्यस्त हो जाने के बाद और धीमे से शुरुआत करने के बाद आप इसके चक्रों को पूरा करने की गति अपनी क्षमता के आधार पर बढ़ा सकते हैं।
  • वहीं अभ्यास की प्रक्रिया को समाप्त करने के समय आपको ध्यान रखना होगा कि धीरे-धीरे चक्र पूरा करने की गति कम करते हुए ही इस अभ्यास को विराम देना चाहिए।

भस्त्रिका की सावधानियाँ – Precautions for Bhastrika Pranayama 

  • इस प्राणायाम को शुरू करने से पूर्व नाक को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।
  • शुरुआती समय में हमेशा भस्त्रिका प्राणायाम योग को धीमी गति के साथ ही अभ्यास में लाना चाहिए।
  • फेफड़े, हृदय और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित रोगी इस प्रक्रिया का अभ्यास हमेशा धीमी गति के साथ करें। अगर समस्या गंभीर है तो इस प्राणायाम को न करें।
  • वहीं अगर कोई पहली बार भस्त्रिका प्राणायाम करने जा रहा है तो योग विशेषज्ञ के साथ ही का इसका अभ्यास करें।

भस्त्रिका प्राणायाम क्या है और इसके क्या-क्या फायदे हो सकते हैं, इस बारे में तो अब आप अच्छे से जान गए होंगे। साथ ही किन समस्याओं में यह लाभकारी साबित हो सकता है, इस संबंध में भी आपको कोई संशय न रहा होगा। ऐसे में अगर आप भी भस्त्रिका प्राणायाम को नियमित अभ्यास में लाना चाहते हैं तो पहले लेख में दी गई सभी आवश्यक जानकारियों पर एक नजर डाल लें। साथ ही भस्त्रिका से जुड़ी सावधानियों को भी दिमाग में जरूर रखें, ताकि आपको भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ अधिक से अधिक हासिल हो सकें। इस विषय से जुड़ा अन्य कोई सवाल हो तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक जरूर पहुंचाएं। आशा करते हैं कि यह लेख कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को हल करने में आपकी मदद करेगा। Thank you……….

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