Hello, योग क्या है : what is yoga in Hindi , आप शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो यकीन मानिए आप बेहतरीन जीवन जी रहे हैं। हालांकि, जिसे से भी पूछो, तो वो कोई न कोई परेशानी गिना ही देता है। कोई शारीरिक रूप से बीमार है, तो कोई तनाव भरी जिंदगी जी रहा है। इस स्थिति से बचने का एकमात्र उपाय योग है। बेशक, आप में से कुछ के लिए इस बात पर भरोसा करना मुश्किल होगा, लेकिन अब कई वैज्ञानिक शोध से पुष्टि हो चुकी है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग अच्छा विकल्प है। यकीन मानिए योग सभी से होगा और हर रोग का इलाज योग से ही होगा। इस लेख में हम एक साथ योग के बारे में वो सभी तमाम जानकारियां देंगे, जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं। तो चलिए शुरू करते है.( योग क्या है )

 

योग क्या है : What is Yoga in Hindi

 , यह जानने के लिए हमें इसके मूल में जाना होगा।

योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है,

जिसका अर्थ जुड़ना है।

योग के मूल रूप से दो अर्थ माने गए हैं, पहला- जुड़ना और दूसरा-समाधि।

जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ पाते, तब तक समाधि के स्तर को प्राप्त करना मुश्किल होता है।

यह सिर्फ व्यायाम भर नहीं है,

बल्कि विज्ञान पर आधारित शारीरिक क्रिया है।( योग क्या है )

इसमें मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का एक-दूसरे से मिलन होता है।

साथ ही मानव और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य कायम होता है।

यह जीवन को सही प्रकार से जीने का एक मार्ग है।

गीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है कि योग: कर्मसु कौशलम यानी योग से कर्मों में कुशलता आती है।

इसे समझने के लिए हमें विख्यात दार्शनिकों, ज्ञानियों और योगियों के वक्तव्य को जानना होगा।

जिन्होंने अपने-अपने हिसाब से योग को परिभाषित किया है।

  • ( योग क्या है ) : योग को धर्म, आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बांधना गलत है।
  • योग विज्ञान है, जो जीवन जीने की कला है।
  • साथ ही यह पूर्ण चिकित्सा पद्धति है।
  • जहां धर्म हमें खूंटे से बांधता है,
  • वहीं योग सभी तरह के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है।
  • जब आप पूरे शरीर को ठीक से थामना सीख जाते हैं,
  • तो आप पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को अपने अंदर महसूस कर सकते हैं। यही योग है।
  • चित्तवृत्तिनिरोध: यानी चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना ही योग है।
  • आसान भाषा में कहें तो मन को भटकने न देना और एक जगह स्थिर रखना ही योग है।

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योग की परिभाषा जानने के बाद आगे जानते हैं कि योग करना क्यों जरूरी है।

योगासन के फायदे – Yoga Benefits in Hindi

योग क्या है : what is yoga in Hindi

( योग क्या है ) योग तीन स्तरों पर काम करते हुए आपको फायदा पहुंचाता है। इस लिहाज से योग करना सभी के लिए सही है।

  1. पहले चरण में यह मनुष्य को स्वास्थ्यवर्धक बनाते हुए उसमें ऊर्जा भरने का काम करता है।
  2. दूसरे चरण में यह मस्तिष्क व विचारों पर असर डालता है। हमारे नकारात्मक विचार ही होते हैं, जो हमें तनाव, चिंता या फिर मानसिक विकार में डाल देते हैं। योग इस चक्र से बाहर निकालने में हमारी मदद करता है।
  3. योग के तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण चरण में पहुंचकर मनुष्य चिंताओं से मुक्त हो जाता है। योग के इस अंतिम चरण तक पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम की जरूरत होती है। इस प्रकार योग के लाभ विभिन्न स्तर पर मिलते हैं।

योगासन के आंतरिक स्वास्थ्य लाभ – Internal Health Benefits of Yoga in Hindi

  1. रक्त प्रवाह : जब शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है, तो सभी अंग बेहतर तरीके से काम करते हैं। साथ ही शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है। रक्त प्रवाह के असंतुलित होते ही शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार होने लगता है, जैसे – ह्रदय संबंधी रोग, खराब लिवर, मस्तिष्क का ठीक से काम न करना आदि। ऐसे में योग करने से रक्त का प्रवाह अच्छी तरह होता है। इससे सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
  1. संतुलित रक्तचाप : गलत जीवनशैली के कारण कई लोगों रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं। अगर आपको भी रक्तचाप से जुड़ी कोई परेशानी है, तो आज से ही किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में योग करना शुरू कर दें। योग का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि प्राणायाम करने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मिलती है और तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। साथ ही ह्रदय गति सामान्य होती है।
  1. बेहतर श्वसन प्रणाली : श्वसन प्रणाली में आया कोई भी विकार हमें बीमार करने के लिए काफी है। ऐसे में योग हमें बताता है कि जीवन में सांस का क्या महत्व है, क्योंकि हर योगासन सांसों पर ही आधारित है। जब आप योग करते हैं, तो फेफड़े पूरी क्षमता के साथ काम करने लगते हैं, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है।
  1. अपच से राहत : योग के लाभ में गैस से छुटकारा पाना भी है। गैस की समस्या किसी को भी हो सकती है। इसमें बच्चे, बुढ़े, महिला, पुरुष सभी शामिल हैं। यह समस्या मुख्य रूप से पाचन तंत्र के ठीक से काम न करने के कारण होती है। इसे ठीक करने के लिए योग बेहतरीन उपाय है। योग पाचन तंत्र को बेहतर करता है, जिससे कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं जड़ से खत्म हो सकती हैं।
  1. दर्द सहने की क्षमता : शरीर में कहीं भी और कभी भी दर्द हो सकता है। खासकर, जोड़ों में दर्द को सहना मुश्किल हो जाता है। वहीं, जब आप योग करते हैं, तो शुरुआत में इस दर्द को सहने की शारीरिक क्षमता बढ़ने लगती है। साथ ही नियमित अभ्यास के बाद यह दर्द कम होने लगता है।
  1. प्रतिरोधक क्षमता : बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। प्रतिरोधक प्रणाली के कमजोर होने से शरीर विभिन्न रोग का आसानी से शिकार बन जाता है। आप चाहे स्वस्थ हैं या नहीं हैं, दोनों ही स्थिति में योग करना फायदे का सौदा साबित होगा। योग से प्रतिरोधक प्रणाली बेहतर होती है।
  1. नई ऊर्जा : जीवन को सकारात्मक तरीके से जीने और काम करने के लिए शरीर में ऊर्जा का बना रहना जरूरी है। इसमें योग आपकी मदद करता है। योग को करने से थकावट दूर होती है और शरीर नई ऊर्जा से भर जाता है।
  1. बेहतर मेटाबॉलिज्म : हमारे शरीर के लिए मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया जरूरी है। इस प्रक्रिया से ही शरीर को भोजन के जरिए ऊर्जा मिलती है, जिससे हम अपने दिनभर के काम कर पाते हैं। जब पाचन तंत्र, लिवर और किडनी अच्छी तरह काम करते हैं, तो मेटाबॉलिज्म भी ठीक से काम करता है। इस अवस्था में योग का लाभ इसलिए है, क्योंकि योग के जरिए अपच और कब्ज को ठीक कर मेटाबॉलिज्म को बेहतर किया जा सकता है।
  1. नींद : दिनभर काम करने के बाद रात को अच्छी नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर को अगले दिन फिर से काम करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। पर्याप्त नींद न लेने पर दिनभर बेचैनी, सिरदर्द, आंखों में जलन और तनाव रहता है। चेहरे पर भी रोनक नजर नहीं आती। वहीं, अगर आप नियमित योग करते हैं, तो मन शांत होता है और तनाव से छुटकारा मिलता है, जिससे रात को अच्छी नींद सोने में मदद मिलती है।( योग क्या है )
  1. संतुलित कोलेस्ट्रॉल : जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि योग करने से शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इससे नसों में रक्त का थक्के नहीं बन पाते और अतिरिक्त चर्बी भी साफ हो जाती है। यही कारण है कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। योग एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, जबकि एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को खत्म करता है। इसी के साथ संतुलित आहार लेना भी जरूरी है।

योग क्या है : what is yoga in Hindi

  1. नियंत्रित करता है सोडियम : हम कई बार बाहर का तला-भुना या फिर जंक फूड खा लेते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है। शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ने से ह्रदय रोग या फिर गुर्दे की बीमारी हो सकती है। इससे बचने के लिए सबसे पहले तो आप इस तरह का खाना बिल्कुल बंद कर दें। साथ ही नियमित रूप से योग करें। योग में सोडियम की मात्रा को संतुलित करने की क्षमता होती है।
  1. ट्राइग्लिसराइड्स में कमी : ट्राइग्लिसराइड्स हमारे रक्त में पाया जाने वाला एक तरह का फैट है, जो ह्रदय रोग व स्ट्रोक का कारण बन सकता है। इसे कम करने के लिए नियमित योग करना जरूरी है। योग करने से ह्रदय की गति थोड़ा बढ़ती है, जिस कारण ट्राइग्लिसराइड्स जैसी स्थिति से बचा जा सकता है।
  1. लाल रक्त कोशिकाओं में वृद्धि : हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का अहम योगदान होता है। ये फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर पूरे प्रत्येक अंग तक पहुंचाती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से एनीमिया तक हो सकता है। योग बढ़ने से शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने लगती है।
  1. ह्रदय रोग से बचाव : ह्रदय हमारे शरीर का नाजुक हिस्सा है। गलत खानपान, असंतुलित दिनचर्या और तनाव का सीधा असर आपके ह्रदय पर होता है। आगे चलकर ह्रदय से जुड़ी कई बीमारियां हो जाती हैं। इससे बचने का बेहतरीन तरीका योग है। नियमित योग व स्वस्थ खानपान से ह्रदय मजबूत रहता है। जब आप ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए योग करेंगे, तब आपको योग का महत्व आसानी से समझ आएगा।
  1. अस्थमा : अस्थमा होने पर श्वास नली सिकुड़ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। जरा-सी धूल-मिट्टी में भी हमारा दम घुटने लगता है। अगर आप इस अवस्था में योग करते हैं, तो आपके फेफड़ों पर जोर पड़ता है और वो अधिक क्षमता के साथ काम करते हैं।
  1. अर्थराइटिस : अर्थराइटिस यानी गठिया होने पर जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो जाती है। इस अवस्था में रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में योग करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। किसी योग्य योग प्रशिक्षक के निरीक्षण में योग करने से जोड़ों में आई सूजन और दर्द कम होने लगता है और धीरे-धीरे काम करने लगते हैं।
  1. कैंसर : यह कहना मुश्किल है कि योग करने से कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है या नहीं। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि योग के जरिए कैंसर जैसी बीमारी से उबरने में मदद मिलती है। योग करने से कैंसर के मरीज में मौजूद विषैले जीवाणु खत्म हो सकते हैं। साथ ही मांसपेशियों में आया खिंचाव कम होता है और रक्त का संचार बेहतर होता है और तनाव व थकान भी कम होती है। इसके अलावा, कीमियो थेरेपी के दौरान होने वाली मतली व उल्टी जैसी समस्या से भी निपटा जा सकता है।
  1. माइग्रेन : अगर माइग्रेन का मरीज योग करता है, तो उसे सिर में होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। योग मांसपेशियों में आए खिंचाव को कम करता है और सिर तक पर्याप्त में ऑक्सीजन पहुंचती है, जिससे माइग्रेन में राहत मिलती है।
  1. ब्रोंकाइटिस : मुंह, नाक और फेफड़ों को बीच हवा मार्ग को श्वास नली कहते हैं। जब इसमें सूजन आ जाती है, तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है। चिकित्सीय भाषा में इस अवस्था को ब्रोंकाइटिस कहा जाता है। योग इस सूजन को दूर कर सांस लेने में आपकी मदद करता है। योग के जरिए फेफड़ों से ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में होती है। साथ ही फेफड़ों में नई ऊर्जा का संचार होता है।
  1. कब्ज : यह ऐसी बीमारी है, जो अन्य बीमारियों के होने का कारण बनती है। पाचन तंत्र में समस्या आने पर कब्ज होती है। इसे ठीक करने के लिए दवाइयों से बेहतर योग है। योग के जरिए कब्ज जड़ से खत्म हो सकती है। योग सबसे पहले पाचन तंत्र को ठीक करेगा, जिससे कब्ज अपने आप ठीक हो जाएगी और आप तरोताजा महसूस करेंगे।

योग क्या है : what is yoga in Hindi

  1. बांझपन व रजोनिवृत्ति : अगर कोई प्रजनन क्षमता को बेहतर करना चाहता है, तो इसके लिए भी योग के आसन का वर्णन किया गया है। योग के जरिए शुक्राणु कम बनने की समस्या, यौन संबंधी कोई समस्या, फैलोपियन ट्यूब में आई कोई रुकावट या फिर पीसीओडी समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, रजोनिवृत्ति से पहले और उस दौरान नजर आने वाले नकारात्मक लक्षणों को भी योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
  1. साइनस व अन्य एलर्जी : साइनस के कारण नाक के आसपास की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है। इस समस्या के लिए भी योग हर लिहाज से बेहतर है। साइनस में सांस संबंधी योग यानी प्राणायाम करने से नाक व गले की नलियां में आई रुकावट दूर होती है और सांस लेना आसान हो जाता है। इसके अलावा, अन्य प्रकार की एलर्जी को भी योग से ठीक किया जा सकता है।
  1. कमर दर्द : आजकल हमारा ज्यादा काम बैठकर होता है। इस वजह से किसी न किसी को कमद दर्द की शिकायत रहती है। अगर आप योग्य प्रशिक्षिक की निगरानी में योग करें, तो रीढ़ की हड्डी में लचक आती है, जिससे किसी भी तरह का दर्द दूर किया जा सकता है।

 

योगासन के बाहरी स्वास्थ्य लाभ – External Health Benefits of Yoga in Hindi

  1. बढ़ती उम्र का असर कम : कुछ लोगों के चेहरे पर समय से पहले ही बढ़ती उम्र का असर नजर आने लगता है। वहीं, अगर आप योग करते हैं, तो समय पूर्व चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों को कम किया जा सकता है। योग के जरिए शरीर में जमा विषैले पदार्थ व जीवाणु साफ हो जाते हैं और फ्री रेडिकल्स का भी सफाया हो जाता है। तनाव के कारण भी समय से पहले बुढ़ापे का असर नजर आने लगता है, लेकिन योग इस अवस्था से भी बचा सकता है।
  2. शारीरिक क्षमता का बढ़ना : गलत तरीके से उठने-बैठने और चलने-फिरने से शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है। इस वजह से शरीर में जगह-जगह दर्द, मांसपेशियों में विकार और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इन समस्याओं से बचने का सही तरीका योग है। नियमित रूप से योग करने से हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत होती हैं, शरीर का आकार बेहतर होता है और शारीरिक क्षमता बेहतर होती है।
  3. संतुलित वजन : इन दिनों हर कोई मोटापे का शिकार है। इसका कारण गलत खानपान और दिनचर्या है। सबसे पहले हमारा पेट खराब होता है। पाचन तंत्र बेहतर न होना ही हर बीमारी की जड़ है। इससे निपटने का आसान और बेहतरीन तरीका योग ही है। अगर आप नियमित योग करते हैं, तो कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याएं दूर होती हैं और पाचन तंत्र बेहतर होता है। इससे धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है।
  4. सुडौल शरीर : योगासन सिर से लेकर पांव तक शरीर को संतुलित बनाता है और मानसिक व आत्मिक रूप से भी आपको मजबूत बनाता है। इन सभी के बेहतर प्रकार से कार्य करने पर ही शरीर सुडौल बनता है।
  5. कोर की क्षमता का बढ़ना : कोर का मुख्य रूप से अर्थ शरीर की महत्वपूर्ण मांसपेशियों के समूह को कहा जाता है। शरीर के ठीक प्रकार से काम करने के लिए कोर का मजबूत रहना जरूरी है। शरीर का पूरा भार कोर पर ही टिका होता है। ये आपको चोट लगने से बचाती हैं। योग करने से कोर में मजबूत आती हैं, लचीलापन आता है और स्वास्थ रहती हैं।
  6. मांसपेशियों में सुधार : योग करने से मांसपेशियों की गतिविधि में सुधार होता है। यह मजबूत होती हैं और इनमें लचीलापन आता है।
  7. सहनशीलता में वृद्धि : जैसा कि इस लेख में कई बार लिखा गया है कि योग सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। इसकी जरूरत रोजमर्रा के काम में पड़ती है। खासतौर पर खिलाड़ियों के लिए मानसिक तौर पर मजबूत होना जरूरी है। वह जितना सहनशील रहते हैं, उतना ही उनके प्रदर्शन में सुधार नजर आता है। साथ ही हर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है। ( योग क्या है )

योगासन के भावनात्मक स्वास्थ्य लाभ – Emotional Health Benefits of Yoga 

योग क्या है योगासन के फायदे और प्रकार : what is yoga in Hindi

  1. अच्छा मूड : जीवन में आगे बढ़ने और सफलता हासिल करने के लिए आपके स्वभाव का अच्छा और सकारात्मक रहना जरूरी है। इस काम में योग आपकी मदद करता है। यकीन मानिए, जब आप योग करते हैं, तो आप अंदर से पूरी तरह सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं। इससे आपका मूड अच्छा होता है और दिनभर काम में मन लगा रहता है।
  2. तनाव कम : तनाव हर किसी के लिए नुकसानदायक है। जो व्यक्ति तनाव में होता है, उसके लिए सामान्य जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है। तनाव से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता योग है। जब आप योग करेंगे, तो नई ऊर्जा से भर जाएंगे। इससे तनाव का कम होना स्वाभाविक है।
  3. चिंता से छुटकारा : कहा जाता है चिंता चिता की जननी है। जो चिंता में डूबा उसका तनाव में जाना तय है। चिंता के कारण ह्रदय संबंधी बीमारियां तक हो सकती हैं। अगर आप भी ज्यादा चिंता में डूबे रहते हैं, तो आज से ही योग का सहारा लेना शुरू कर दें। योग से न सिर्फ आप मानसिक रूप से तमाम तरह के विकारों व नकारात्मक सोच से उबर पाएंगे, बल्कि जीवन को फिर से जीने और तमाम दुविधाओं का सामना करने की क्षमता पैदा हो जाएगी। विचलित मन शांत होता है और परम आनंद का सुख मिलता है।
  4. दबाव का मुकाबला : कई बार ऑफिस और घर का काम इतना ज्यादा हो जाता है कि कोई भी मानसिक दबाव में आ सकता है। ऐसा अक्सर महिलाओं के साथ होता है। इस अवस्था में उनके लिए विभिन्न कामों के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। इससे बचने का एकमात्र उत्तम जरिया योग है। योग आपको हर तरह की स्थिति और दबाव से बाहर निकलने की शक्ति देता है। आप अंदर से प्रसन्न महसूस करेंगे।
  5. निर्णय लेने की क्षमता : योग आपको मानसिक रूप से इस कदर मजबूत बनाता है कि आप जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम हो जाते हो। साथ ही विपरीत हालत में स्वयं को कैसे संतुलित बनाए रखना है।
  6. एकाग्रता : नियमित रूप से योग करते रहने से आप इतने सक्षम हो जाते हैं कि अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकाग्रचित होकर काम करने लगते हो। इस दौरान मार्ग में आने वाली तमाम बाधाओं को भी आसानी से पार किया जा सकता है। वैसे भी कहा जाता है कि सफलता का मूल मंत्र काम के प्रति एकाग्रता है।
  7. अच्छी याददाश्त : योग के जरिए मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर भी असर होता है। खासकर, छात्रों के लिए यह बेहद जरूरी है। परीक्षा के दौरान अपने मस्तिष्क को शांत रखना और बेहतर बनाना जरूरी है, ताकि वो जो भी पढ़ रहे हैं, उन्हें अच्छी तरह याद रहे।
  8. बारीकियों पर नजर : अक्सर आप स्कूल, कॉलेज या फिर ऑफिस में ऐसे प्रोग्राम में जाते होंगे, जिनमें किसी विषय के बारे में विस्तार से बताया जाता है और यह आपके लिए जरूरी भी होता है। इस तरह के माहौल में अमूमन होता यह है कि आप कुछ समय तो एक्टिव रहते हैं, लेकिन धीरे-धीरे आपका ध्यान किसी और तरफ चला जाता है। इस प्रकार आप जरूरी बातों पर ध्यान नहीं दे पाते, लेकिन योग करने वाला व्यक्ति हर समय एक्टिव रहता है। वह हर बारीक से बारीक चीजों पर भी ध्यान रखता है।
  9. जीवन में सकारात्मक विचार : योग करना हमेशा ऊर्जावान रहता है। जीवन को लेकर उसके विचार सकारात्मक होते हैं। वह जीवन को हर दिन नई ऊर्जा व जोश के साथ जीना पसंद करता है। वह जीवनभर ‘खुश रहो और दूसरों को खुश रखो’ इसी सिद्धांत का पालन करता है।

 

योग के प्रकार – Types of Yoga in Hindi

हालांकि, ठीक-ठीक कहना तो मुश्किल है कि योग के प्रकार कितने हैं, लेकिन हम यहां आमतौर पर चर्चा में आने वाले प्रकारों के बारे में बता रहे हैं : ( योग क्या है )

1. राज योग : योग की सबसे अंतिम अवस्था समाधि को ही राजयोग कहा गया है। इसे सभी योगों का राजा माना गया है, क्योंकि इसमें सभी प्रकार के योगों की कोई न कोई खासियत जरूर है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ समय निकालकर आत्म-निरीक्षण किया जाता है। यह ऐसी साधना है, जिसे हर कोई कर सकता है। महर्षि पतंजलि ने इसका नाम अष्टांग योग रखा है और योग सूत्र में इसका विस्तार से उल्लेख किया है। उन्होंने इसके आठ प्रकार बताए हैं, जो इस प्रकार हैं :

  • यम (शपथ लेना)
  • नियम (आत्म अनुशासन)
  • आसन (मुद्रा)
  • प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)
  • प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण)
  • धारणा (एकाग्रता)
  • ध्यान (मेडिटेशन)
  • समाधि (बंधनों से मुक्ति या परमात्मा से मिलन)

2. ज्ञान योग : ज्ञान योग को बुद्धि का मार्ग माना गया है। यह ज्ञान और स्वयं से परिचय करने का जरिया है। इसके जरिए मन के अंधकार यानी अज्ञान को दूर किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि आत्मा की शुद्धि ज्ञान योग से ही होती है। चिंतन करते हुए शुद्ध स्वरूप को प्राप्त कर लेना ही ज्ञान योग कहलाता है। साथ ही योग के ग्रंथों का अध्ययन कर बुद्धि का विकास किया जाता है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना गया है। अंत में इतना ही कहा जा सकता है कि स्वयं में लुप्त अपार संभावनाओं की खोज कर ब्रह्म में लीन हो जाना है ज्ञान योग कहलाता है।

3. कर्म योग : कर्म योग को हम इस श्लोक के माध्यम से समझते हैं। योगा कर्मो किशलयाम यानी कर्म में लीन होना। श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ यानी कुशलतापूर्वक काम करना ही योग है। कर्म योग का सिद्धांत है कि हम वर्तमान में जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वो हमारे पूर्व कर्मों पर आधारित होता है। कर्म योग के जरिए मनुष्य किसी मोह-माया में फंसे बिना सांसारिक कार्य करता जाता है और अंत में परमेश्वर में लीन हो जाता है। गृहस्थ लोगों के लिए यह योग सबसे उपयुक्त माना गया है।( योग क्या है )

4. भक्ति योग : भक्ति का अर्थ दिव्य प्रेम और योग का अर्थ जुड़ना है। ईश्वर, सृष्टि, प्राणियों, पशु-पक्षियों आदि के प्रति प्रेम, समर्पण भाव और निष्ठा को ही भक्ति योग माना गया है। भक्ति योग किसी भी उम्र, धर्म, राष्ट्र, निर्धन व अमीर व्यक्ति कर सकता है। हर कोई किसी न किसी को अपना ईश्वर मानकर उसकी पूजा करता है, बस उसी पूजा को भक्ति योग कहा गया है। यह भक्ति निस्वार्थ भाव से की जाती है, ताकि हम अपने उद्देश्य को सुरक्षित हासिल कर सकें।

5. हठ योग : यह प्राचीन भारतीय साधना पद्धति है। हठ में ह का अर्थ हकार यानी दाई नासिका स्वर, जिसे पिंगला नाड़ी करते हैं। वहीं, ठ का अर्थ ठकार यानी बाईं नासिका स्वर, जिसे इड़ा नाड़ी कहते हैं, जबकि योग दोनों को जोड़ने का काम करता है। हठ योग के जरिए इन दोनों नाड़ियों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि हठ योग किया करते थे। इन दिनों हठ योग का प्रचलन काफी बढ़ गया है। इसे करने से आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं और मानसिक रूप से शांति मिलती है।

6. कुंडलिनी/लय योग : योग के अनुसार मानव शरीर में सात चक्र होते हैं। जब ध्यान के माध्यम से कुंडलिनी को जागृत किया जाता है, तो शक्ति जागृत होकर मस्तिष्क की ओर जाती है। इस दौरान वह सभी सातों चक्रों को क्रियाशील करती है। इस प्रक्रिया को ही कुंडलिनी/लय योग कहा जाता है। इसमें मनुष्य बाहर के बंधनों से मुक्त होकर भीतर पैदा होने वाले शब्दों को सुनने का प्रयास करता है, जिसे नाद कहा जाता है। इस प्रकार के अभ्यास से मन की चंचलता खत्म होती है और एकाग्रता बढ़ती है।

( योग क्या है ) योग के प्रकार जानने के बाद अब हम योगासन के समय अपनाए जाने वाले नियमों के बारे में बात करेंगे।

योगासन के नियम – Rules of Yoga in Hindi

योग क्या है योगासन के फायदे और प्रकार : what is yoga in Hindi

योग करने से पहले और करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं

नियमानुसार योग को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर योग करना अधिक फायदेमंद होता है।

योगासन से पहले हल्का वॉर्मअप करना जरूरी है, ताकि शरीर खुल जाए।

योग की शुरुआत हमेशा ताड़ासन से ही करनी चाहिए।

सुबह योगासन खाली पेट करना चाहिए।

जो लोग पहली बार योगासन कर रहे हैं, उन्हें शुरुआत में हल्के योग के आसन करने चाहिएं और किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।

फिर जैसे-जैसे इनके अभ्यस्त हो जाएं, तो अपने स्तर को बढ़ाते जाएं।

अगर आप शाम को योग कर रहे हैं, तो भोजन करने के करीब तीन-चार घंटे बाद ही करें। साथ ही योग करने के आधे घंटे बाद ही कुछ खाएं।

योगासन करने के तुरंत बाद नहीं नहाना चाहिए, बल्कि कुछ देर इंतजार करना चाहिए।

हमेशा आरामदायक कपड़े पहनकर ही योग करना चाहिए।

जहां आप योग कर रहे हैं, वो जगह साफ-सुथरी और शांत होनी चाहिए।

योग करते समय नकारात्मक विचारों को अपने मन से निकालने का प्रयास करें।

योग का सबसे जरूरी नियम यह है कि इसे धैर्य से करें और किसी भी आसन में अधिक जोर न लगाएं। अपनी क्षमता के अनुसार ही करें।

सभी योगासन सांस लेने और छोड़ने पर निर्भर करते हैं, जिसका पूर्ण ज्ञान होना जरूरी है। संभव हो तो पहले इस बारे में सीख लें, उसके बाद ही स्वयं से करें।

अगर आप बीमार या गर्भवती हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इसे करें। साथ ही योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में इसे करें।

हमेशा योगासन के अंत में शवासन जरूर करें। इससे तन और मन पूरी तरह शांत हो जाता है। शवासन करने पर ही योग का पूरी तरह से लाभ मिलता है।

योग के दौरान ठंडा पानी न पिएं, क्योंकि योग करते समय शरीर गर्म होता है।

इसलिए, ठंडे पानी की जगह साधारण या हल्का गुनगुना पानी ही पिएं।

योग करने का सही समय – Correct Time to Practice Yoga 

( योग क्या है ) योग विज्ञान में दिन को चार हिस्सों में बांटा गया है, ब्रह्म मुहूर्त, सूर्योदय, दोपहर व सूर्यास्त। इनमें से ब्रह्म मुहूर्त और सूर्योदय को योग के लिए सबसे बेहतर माना गया है।

ऐसा माना जाता है कि अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर योग करते हैं, तो सबसे ज्यादा फायदा होता है। उस समय वातावरण शुद्ध होता है और ताजी हवा चल रही होती है। अमूमन आध्यात्म ज्ञान प्राप्त करने वाले ही इस समय योगाभ्यास करते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह चार बजे का माना गया है। इस समय सभी के उठना संभव नहीं है, इसलिए अगर आप सूर्योदय के समय भी योग करते हैं, तो बेहतर है। इससे शरीर दिनभर ऊर्जावान रहता है।

ध्यान रहे कि योगासन हमेशा खाली पेट ही करें।

आप सूर्यास्त के बाद भी योग कर सकते हैं, लेकिन उससे तीन-चार घंटे पहले तक आपने कुछ न खाया हो।

योग के लिए आवश्यक चीजें – Things Required for Yoga 

योगाभ्यास के दौरान इन चीजों की जरूरत सबसे ज्यादा होती है

साफ और आरामदायक योग मैट।

आरामदायक कपड़े, जिनमें आपको योगासन करते हुए परेशानी न हो।

जरूर के अनुसार आप तौलिया भी साथ रख सकते हैं, ताकि पसीना आने पर पोंछ सकें।

साफ पानी की बोतल।

आप महिला हैं या पुरुष, अगर आपके बाल लंबे हैं, तो उन्हें बांधें कि योग करते समय आपको परेशानी न हो।

कुछ लोगों को शुरुआत में योग करते हुए दिक्कत हो सकती है, तो योग ब्लॉक्स व बेल्ट का प्रयोग कर सकते है।

आप इसे इस्तेमाल करने से पहले एक बार अपने ट्रेनर से पूछ लें।

सबसे अहम बात यह है कि आप जिस कमरे में योग करें, वो साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए।

योगाभ्यास के दौरान मानसिक स्थिति कैसी होनी चाहिए – Mental State for Yoga 

योग हमारे शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है।

इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए अपने शरीर को तैयार करना भी जरूरी है।

इसलिए, योग करते समय अपने मन से सभी गलत विचारों को निकाल दें।

इस बारे में बिल्कुल न सोचें कि योग करने से कोई लाभ होगा या नहीं और होगा तो कितने समय में होगा। योग करते समय अपने मन को पूरी तरह से स्थिर और शांत करने का प्रयास करें।

हालांकि, शुरुआत में आपको कुछ परेशानी हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाएगा।

योगासन के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Yoga in Hindi

( योग क्या है ) आप सोच-समझ कर अच्छे योग टीचर का चुनाव करें। इसमें कोई जल्दबाजी न दिखाएं।

योग करते समय हमेशा अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान रखें।

जब भी पद्मासन या सुखासन में बैठें, तो कमर को बिल्कुल सीधा रखें।

सांस को मुंह से छोड़ें और नाक से लें।

किस अवस्था में कब सांस लेनी है और कब छोड़नी है, उसका पूरा ज्ञान होना चाहिए।

जितना आपका शरीर साथ दे, उतना ही योगासन करें। नियमित अभ्यास करने से ही आपके शरीर में लचीलापन आएगा।

कौन, कैसे कर रहा है, उस पर ध्यान दें। हर किसी के शरीर की अपनी सीमा होती है।

स्वस्थ शरीर के लिए योग के साथ-साथ संतुलित भोजन भी करें।

अगर आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो एक बार अपने योग टीचर से जरूर पूछ लें।

कुछ गलत करने से बेहतर है कि आप उस बारे में बात करें।

अगर आप कोई योग आसन गलत तरीके से करते हैं, तो आपको फायदे की जगह हानि हो सकती है।

सावधानी योग के लिए : Caution for yoga

( योग क्या है ) अगर आप पहली बार योग कर रहे हैं, तो प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें।

वह आपकी उम्र, बीमारी व क्षमता के अनुसार ही उपयुक्त योगासन बताएगा।

कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनमें कुछ योग आसन वर्जित है.

तो बेहतर यही होगा कि आप योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।

इसमें कोई शक नहीं कि योग से सब संभव है,

बस जरूरत है इसे करने के लिए संकल्प लेने की।

आप आज ही किसी योग्य योग प्रशिक्षक का चुनाव करें और योग करना शुरू कर दें।

हां, इस बात का जरूर ध्यान रखें कि योग करने से आपको फर्क तुंरत नजर आएगा,

लेकिन पूरी तरह से फायदा होने में समय लग सकता है।

इसलिए, संयम के साथ इसे करें और हर आसन का आनंद लें।

खुद को सेहतमंद रखें और इस जानकारी को दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

योग करें, निरोग रहें।

 

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