Appendix Ko Door Karne Ke Liye Yoga : किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरूरी है उसके पेट का स्वस्थ रहना। अगर पेट से संबंधित कोई भी समस्या होती है, तो उसका असर पूरे शरीर पर होता है। ऐसी ही पेट से जुड़ी एक समस्या Appendix भी है। Appendix की स्थिति में पेट में असहनीय दर्द उठता है। इस बीमारी का यूं तो मेडिकल ट्रीटमेंट ही करवाया जाता है, लेकिन योगासन की मदद से Appendix के शुरुआती लक्षण को कुछ कम करने और Appendix के ऑपरेशन के बाद होने वाली जटिलताओं से बचने में मदद मिल सकती है। इसी वजह से Googletoday.in के इस लेख में हम अपेंडिक्स के लिए योग की जानकारी लेकर आए हैं।
Appendix Ko Door Karne Mein Kaise Labhdayak Hai Yoga – How Does Yoga Help with Appendix in Hindi
अपेंडिक्स के लिए योग में विराभद्रसान को भी शामिल कर सकते हैं। दरअसल, इस योग के नियमित अभ्यास से पेट की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, जिससे कि अपेंडिक्स की समस्या को पनपने से रोका जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में किसी तरह का स्पष्ट वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।
- वीरभद्रासन को करने के लिए एक समतल स्थान पर योग मैट या चटाई बिछा लें। फिर पैरों के बीच करीब 3 फीट की दूरी बनाकर खड़े हो जाएं।
- अब अपने दोनों हाथों को एक साथ ऊपर उठाकर जोड़ लें।
- इसके बाद अपने बाएं पैर को धीरे-धीरे 90 डिग्री तक घुमाएं।
- अब शरीर को बाईं ओर घुमाएं व लंबी सांस लें और बाएं घुटने को मोड़ें।
- इस समय बाया घुटना और टखना एक सीध में रहेंगे।
- कुछ सेकंड के लिए इसी मुद्रा में बने रहें। फिर योग को विपरीत करते हुए शुरुआती मुद्रा में आ जाएं। यह आधा चक्र हुआ।
- अब थोड़ी देर विराम लेने के बाद इस विधि को दूसरी ओर से भी करें।
- इस योग को चार से पांच बार कर सकते हैं।
- रीढ़ और कमर में दर्द होने पर इस योग को न करें।
- अगर पैरों से जुड़ी गंभीर समस्या है, तो इसे डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
सर्वांगासन – Sarvangasana
इस योग में पीठ के बल लेटकर पैरों को ऊपर उठाया जाता है। एक मेडिकल रिसर्च की मानें, तो इस योग के निरंतर अभ्यास से बाउल मूवमेंट रेगुलेट होता है, जिससे कब्ज की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही यह पेट में होने वाले दर्द को भी ठीक कर सकता है। इससे अपेंडिक्स की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है।
- सर्वांगासन करने के लिए योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
- इस समय दोनों हाथों को सीधा शरीर से सटाकर रखें।
- इसके बाद धीरे-धीरे सांस लेते हुए पहले पैरों, फिर कूल्हों और अंत में कमर को ऊपर उठाएं।
- शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए कमर को हाथों से सहारा दें और कोहनियों को जमीन पर टिका दें।
- इस मुद्रा में आने के बाद दोनों पैर सटे हुए और बिल्कुल सीधे होने चाहिए।
- इस समय शरीर का पूरा भार कंधों, कोहनियों व सिर पर रहेगा और ठुड्डी छाती को छू रही होगी।
- कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और नियमित रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें।
- अब धीरे-धीरे पैरों को जमीन पर ले आएं और प्रारंभिक मुद्रा में वापस आ जाएं।
- इस योग के तीन से चार चक्र कर सकते हैं ।
- गर्भावस्था के समय इस योग को करने से बचें।
- अगर उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्या है, तो इस योग को न करें।
- यदि किसी के गर्दन में असहनीय दर्द हो रहा है, तो इस योग से परहेज करें।
वृक्षासन – Vrikshasana
अपेंडिक्स दूर करने के लिए योग में वृक्षासन को शामिल कर सकते हैं। वृक्षासन को करते समय एक पैर में खड़ा होना होता है और इसमें शरीर एक पेड़ की तरह दिखाई देता है। यह योग अपेंडिक्स के लक्षण से छुटकारा दिलाने के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक रिसर्च में दिया है कि इस योग से पाचन को ठीक किया जा सकता है । वहीं, हमने ऊपर बताया है कि अपेंडिक्स की स्थिति में मल कठोर हो जाता है। इस आधार पर माना जाता है कि वृक्षासन से अपेंडिक्स के लक्षण कुछ कम हो सकते हैं।
- वृक्षासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले एक चटाई या योग मैट बिछाकर उस पर सीधे खड़े हो जाएं।
- इसके बाद एक पैर को घुटने से मोड़कर पैर के तलवे को दूसरे पैर की जांघ पर टिका दें।
- इस समय दूसरा पैर सीधा होगा और उसी पैर से शरीर का संतुलन बनाए रखना होगा।
- अब इस मुद्रा में आने के बाद गहरी सांस भरकर दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए सिर के ऊपर ले आएं और दोनों हथेलियों को जोड़ लें।
- इससे हाथों से नमस्कार की मुद्रा बन जाएगी।
- इस समय कमर, रीढ़ की हड्डी और सिर एक समांतर रेखा में होने चाहिए।
- करीब 5 मिनट तक इसी मुद्रा में रहने की कोशिश करें और सामान्य रूप से सांसें लेते व छोड़ते रहें।
- फिर लंबी सांस लेते हुए शुरुआती मुद्रा में आ जाएं और पैरों को कुछ सेकंड आराम दें। यह वृक्षासन का आधा चक्र पूरा हुआ। अब इसे दूसरे पैर केसाथ भी कर सकते हैं।
- इस योग को करीब 10 मिनट तक किया जा सकता है।
- जो लोग बहुत मोटे हैं, उन्हें इस योग को न करने की सलाह दी जाती है।
- गठिया से प्रभावित लोगों को इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- वर्टीगो यानी सिर चकराने की समस्या से जूझ रहे लोगों को इससे परहेज करना चाहिए।
- अगर माइग्रेन या रक्तचाप की समस्या है, तो इस योग का अभ्यास न करें ।
- गर्भवतियों को यह योग बिना प्रशिक्षक के नहीं करना चाहिए। दरअसल, इस योग के दौरान एक पैर से ही शरीर का संतुलन बनाना होता है, जिससे गिरने का खतरा बना रहता है।
इस योग को करने के लिए घुटनों के बल बैठकर धड़ वाले भाग को नीचे झुकाना होगा। एक रिसर्च के मुताबिक, यह आसन दस्त की समस्या से राहत दिला सकता है। वहीं, अपेंडिक्स की समस्या होने पर दस्त जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
- सबसे पहले एक स्वच्छ स्थान पर योग मैट या चटाई बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- इस समय दोनों हाथ सीधे घुटनों पर होंगे।
- फिर लंबी सांस भरते हुए हाथों को सीधे ऊपर की तरफ उठाएं।
- अब सांस छोड़ते हुए कमर वाले भाग को सामने की तरफ झुकाएं। साथ ही दोनों हाथों को नीचे लाकर जमीन पर टिका दें।
- इस समय हाथ सीधे सामने की तरफ फैले हुए होने चाहिए और गर्दन या रीढ़ की हड्डी भी सीधी होनी चाहिए। साथ ही माथे से जमीन को छूने की भी कोशिश करें।
- थोड़ी देर के लिए इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते व छोड़ते रहें।
- अब सांस लेते हुए फिर से वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं।
- इस योग को विराम लेकर चार से पांच बार तक किया जा सकता है।
- अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर या हृदय रोग की समस्या है, तो वे इस योग को डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
- जिन लोगों को पीठ दर्द की शिकायत होती है, वे इस योग के अभ्यास से बचें।
- प्रेगनेंट महिलाओं को इस आसन से परहेज करना चाहिए।
अर्ध चंद्रासन – Ardha Chandrasana
अर्ध चंद्रासन के दौरान एक हाथ और एक पैर में खड़ा होना पड़ता है। यह योग पेट को मजबूत करता है और पाचन में सुधार कर सकता है। माना जाता है कि इससे अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद की स्थिति में सुधार हो सकता है ।
योग करने की प्रक्रिया :
- इस योग को करने के लिए योग मैट बिछाकर उस पर सीधे खड़े हो जाएं।
- इस समय दोनों पैरों के बीच करीब दो फीट की दूरी रखें।
- अब दोनों हाथों को सीधे शरीर से दूर फैलाकर कंधे के बराबर ले आएं।
- फिर धीरे-धीरे बाईं तरफ झुकते हुए बाएं हाथ को बाएं पैर के पास जमीन पर रख दें व दाएं पैर को ऊपर उठा लें।
- इसके बाद अपने दाएं हाथ को सीधे आसमान की तरफ ऊपर उठाएं।
- अब अपने गर्दन को मोड़कर चेहरे को ऊपर की तरफ कर लें और नजरें दाएं हाथ पर टिका दें।
- इस समय बाया पैर व बाया हाथ जमीन पर होगा और दाया पैर व दाया हाथ आसमान की तरफ होगा।
- इस दौरान शरीर का पूरा भार बाएं पैर व बाएं हाथ की उंगलियों पर होगा।
- थोड़ी देर के लिए इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें।
- अब धीरे-धीरे शुरुआती मुद्रा में आ जाएं। यह योग का आधा चक्र हुआ। अब इसे दूसरी तरफ से भी दोहराएं।
- इस योग को रुक-रुककर चार से पांच बार तक कर सकते हैं।
- अगर किसी को बहुत चक्कर आते हैं, तो इस योग को करने से बचें।
- जिन्हें निम्न रक्तचाप की समस्या है, वो इस आसन को न करें।
- गर्दन या कमर में दर्द है, तो इस आसन को करने से परहेज करें।
- दस्त होने पर इस योग को करने न करें
विपरीत करणी – Viparita Karani
अपेंडिक्स दूर करने के लिए योग में विपरीत करणी योग भी शामिल है। इस योग को करने के दौरान पैरों को ऊपर उठाया जाता है, जिससे पेट वाले भाग पर असर पड़ता है। इससे पेट की मांसपेशियां मजबूत हो सकती है और साथ ही पाचन क्रिया बेहतर हो सकती है। इस आधार पर कह सकते हैं कि इससे अपेंडिक्स के लक्षण को कम करने और इससे जुड़ी सर्जरी करवाने के बाद यह योगासन फायदेमंद साबित हो सकता है।
- सबसे पहले दीवार के करीब योग मैट या चटाई बिछा लें।
- अब दीवार की तरफ मुंह करके बैठ जाएं।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों से सपोर्ट लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें व कमर के नीचे वाले हिस्से को ऊपर उठाकर सीधे दीवार से टिका लें।
- ऐसा करते समय कमर को हाथों से सहारा दें। इस दौरान कंधे, सिर और कोहनी जमीन पर ही रहेंगी।
- इस समय शरीर का पूरा वजन कंधों और कोहनी पर होगा।
- थोड़ी देर के लिए इसी अवस्था में रहें। फिर योग की प्रक्रिया को विपरीत करते हुए शुरुआती स्थिति में वापस आ जाएं।
- इस योग को विराम लेकर 10 मिनट तक कर सकते हैं।
- इस योग को गर्भावस्था और पीरियड्स यानी मासिक धर्म के समय नहीं करना चाहिए।
- मोतियाबिंद की समस्या होने पर इस आसन को करने से बचें।
- उच्च रक्तचाप, ग्लूकोमा या हर्निया से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को न करें।
अपेंडिक्स के लिए योग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां- Precautions to be taken while doing yoga for Appendix in Hindi
किसी भी समस्या के लिए योग करते समय कुछ सावधानियों को बरतना बहुत जरूरी होता है। इसी तरह अपेंडिक्स के लिए भी योग करते समय निम्न बातों को ध्यान में जरूर रखें।
- अपेंडिक्स के लिए किए जाने वाले योग को हमेशा विशेषज्ञ की निगरानी में ही करना चाहिए।
- हमेशा योग को सुबह खाली पेट करना चाहिए। अगर कोई शाम के समय योग करने की सोच रहा है, तो वो योग करने से 3 घंटे पहले तक किसी चीज का सेवन न करें।
- अगर किसी को गंभीर बीमारी है या सर्जरी हुई है, तो योग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होने पर योग करने से बचें।
योग निरोग रहने का सबसे अच्छा माध्यम है। इसे करने से न सिर्फ समस्याओं से छुटकारा मिलता है, बल्कि यह लोगों को स्वस्थ रखने में मदद भी कर सकता है। ऐसे में अपेंडिक्स के कारण होने वाली असुविधाओं और इसकी सर्जरी के बाद हुई परेशानी को दूर करने के लिए ऊपर लेख में बताए गए योग कर सकते हैं हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई सभी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. अपेंडिक्स ( Appendix ) में क्या होता है?
अपेंडिक्स हमारे शरीर के दाई ओर निचले हिस्से में होता है। यह उंगली के आकार का पाउच है, जो कोलन से बाहर निकलता है। एपेंडिसाइटिस तब होता है, जब अपेंडिक्स में संक्रमण के चलते सूजन आ जाती है और मवाद भर जाती है। अपेंडिक्स का दर्द आमतौर पर नाभि के हिस्से में शुरू हेता है और 24 घंटों के भीतर स्थानीय हो जाता है।
2. अपेंडिक्स ( Appendix ) के ऑपरेशन में कितना खर्च आता है?
3. अपेंडिक्स ( Appendix ) कितने प्रकार के होते हैं?
4. अपेंडिक्स ( Appendix ) के ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?
रोगी को 5 से 15 दिन की बजाय 12 से 72 घंटे में ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
5. अपेंडिक्स ( Appendix ) फटने के बाद क्या होता है?
यदि अपेंडिक्स फटा है, तो यह पेट की अंदरूनी परत का सशक्त रूप से चिंताजनक संक्रमण, पेरिटोनाइटिस उत्पन्न कर सकता है।
6. अपेंडिक्स ( Appendix ) का साइज कितना होना चाहिए?
अपेंडिक्स हमारी आंत का एक छोटा-सा हिस्सा होता है। यह एक पतली और छोटी सी ट्यूब की तरह होती है जिसकी लंबाई 2 से 3 इंच होती है।